musafir of india
relentless thinker
Monday, June 20, 2011
New poetry - 9
जोश से लड़े तो होश उड़ गए
ख़ामोशी के सहारे तो ज़िंदा है
ले ली फितरत अपनी आघोष में
सच की साया में ही तो बंदः है
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment