musafir of india
relentless thinker
Tuesday, June 7, 2011
New poetry - 6
बेचैन क्यों है सभी ये दो पल की जिंदगी से
पलक झपके तो किसको पता सच क्या झूट क्या
नंगा फिरे बेशर्मों की दुनिया में रुसवाई क्या है
ख्यालों की हिसार तोड़े तो खता क्या बेखता क्या
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