Saturday, May 12, 2012

New poetry -15




मेरा दोस्त तिवारीजी facebook मे लिखी कविता 




मोहब्बत अब मोहब्बत हो चली है,
तुझे कुछ भूलता सा जा रहा हूं
ये सन्नाटा है मेरे पांव की चाप
'फ़िराक़' कुछ अपनी आहट पा रहा हूं




मेरा जवाब facebook मे 



आहट जब होगी दिल की
मोहब्बत जवान होती है
सच की गली से गुजरे जब जिंदगी
खाक की पहचान होती है
खुद की फितरत से गले मिलकर
खामोशी की अरमान होती है

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